वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रïपति से शिल्पगुरू अवार्ड से सुशोभित हो चुके हैं बोंदवाल
फरीदाबाद, (सरूप सिंह)। राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई दशक से बहादुरगढ़ हरियाणा का Craftsman Rajendra Bondwal (जांगिड़) का परिवार हस्तशिल्प के क्षेत्र में धूम मचा रहा है। चंदन, कदम और अन्य उमदा किस्म की लकड़ी पर हस्त कारीगीरी में निपुण बोंदवाल परिवार ने पारंपरिक कला को आगे बढ़ाने का काम किया है। 37 वें Surajkund International Handicraft Fair में शिल्पी राजेंद्र बोंदवाल की कृतियां मेला देखने आए पर्यटकों पर अनूठी छाप छोड़ रही हैं।
आपको बता दें कि जिला झज्जर के शहर बहादुरगढ के विख्यात शिल्पी राजेंद्र बोंदवाल को इस बार सूरजकुंड मेले में स्टॉल नंबर-1245 अलाट हुई है, जिस पर दिनभर कला प्रेेमियों का तांता लगा रहता है। इस स्टाल पर चंदन और दूसरी लकड़ी से बने लाकेट, ब्रेसलेट, मालाएं, खिलौने, जंगली जानवरों की कृतियां, देवी-देवताओं की आकर्षक मूर्तियां उपलब्ध हैं।
भारत सरकार द्वारा हरियाणा में अभी आधा दर्जन से ज्यादा शिल्पियों को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है, इनमें चार पुरस्कार अकेले बोंदवाल परिवार के खाते में हैं। शिल्पगुरू अवार्डी राजेंद्र बोंदवाल ने बताया कि उनके भाई महाबीर प्रसाद के बेटे चंद्रकांत को साल 2004 में सरकार द्वारा राष्टï्रीय पुरस्कार से नवाजा गया, जबकि 1979 में उनके भाई महाबीर प्रसाद को, 1996 में उनके पिता जयनाराण बोंदवाल सम्मनित हो चुके हैं।
बकौल राजेंद्र बोंदवाल आज आधुनिकता की दौड़ में कलाकृतियों की डिमांड अकेले भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है।
लकड़ी के फ्रेम पर चिडिय़ा व फूल पत्ती बनाने के लिए मिला सम्मान
सूरजकुंड मेला परिसर में अपनी शिल्प कला का जादू बिखेर रहे प्रसिद्ध शिल्पकार राजेंद्र बोंदवाल वर्ष 2015 में तत्कालीन माननीय राष्ट्रपति से शिल्प गुरू अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें शिल्प गुरू का अवार्ड एक लकड़ी के फ्रेम पर बेहद बारीक कला में चिडिय़ा व फूल पत्तियां बनाने के लिए प्रदान किया गया था। इसके अलावा बोंदवाल दो वर्ष के लिए नॉर्थ अफ्रीका भी गए। वहां आईटीआई में छात्रों को लकड़ी की कारीगरी दिखाने के लिए सरकार की ओर से भेजा गया था। वर्तमान में शिल्पी राजेंद्र बोंदवाल अपनी कृतियों के माध्यम से पर्यटकों को कला से रूबरू करा रहे हैं।
Author: Prime Haryana
Information with Confirmation