फरीदाबाद, (सरूप सिंह)। कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने देवर्षि नारद जयंती समारोह की बधाई देते हुए कहा कि वे ब्रह्मांड के प्रथम पत्रकार थे और लोकहित में सर्वप्रथम नारदजी से ही संवाद की विधा शुरु हुई। हमारे सामने नारद जी की चरित्र सत्यता पर अडिग रहने वाले पात्र के रुप में है, जोकि प्रेरणादायी है,लेकिन आज के समाज में यह कार्य कठिन जरुर है, मगर साथ ही इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है।
उन्होंने कहा कि हमें जो भी सूचना देनी होती है वह सत्य और तथ्य पर आधारित होनी चाहिए। गोयल रविवार को प्रदेश स्तरीय देवर्षि नारद जयंती एवं 10 वें पत्रकार सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रख्यात पत्रकार डा.अमित आर्य सहित अलग अलग श्रेणियों में मीडिया जगत से जुड़े प्रतिनिधियों को सम्मान स्वरुप प्रशस्ति पत्र, नगद पुरस्कार राशि, स्मृति चिह्न और पटका देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र प्रचारक जतिन कुमार ने कहा कि कोविड के समय में स्वास्थ्य और सुरक्षा कर्मियों का सम्मान हुआ। वहीं उन सभी को समाज के सामने लाने वाले पत्रकार भी सम्मान के पात्र हैं और यह कार्य विश्व संवाद केंद्र के प्रयासों से भी हुआ। उन्होंने कहा कि विश्व संवाद केंद्र हरियाणा में पिछले 10 वर्षों से जिला एवं प्रदेश स्तरीय देवर्षि नारद जयंती कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह आयोजित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह कलम की ही ताकत है कि 1943 में जब बंगाल में अकाल पड़ा तो ब्रिटेन संसद में चर्चिल ने इस अकाल में भारत की जनसंख्या और लोगों के प्रति असंवेदनशील टिप्पणी की थी, जिसे उस दौर के विचारकों और पत्रकारों ने जनता को बताया कि यह अकाल ब्रिटेन प्रायोजित षड्यंत्र है। मलाला युसुफ पर जब तालिबान ने हमला किया तो यह मीडिया की ताकत का प्रभाव था कि उसे विश्व मंच पर सम्मान और नोबल पुरस्कार मिला।
पत्रकार एवं न्यूज एंकर अमीश देवगण ने कहा कि इस देश में वीर सावरकर को लेकर झूठी भ्रांति फैलाई गई, जिस महान क्रांतिकारी को दो बार काले पानी की सजा हुई, उसे गद्दार बताया गया। अगर वीर सावरकर समझना है तो उनके जीवन को पढ़ना जरुरी है। हम उन सभ्यताओं से प्रेरणा लेते हैं, जो हमारे से आधी हैं, जबकि भारत की पद्धति विज्ञान आधारित है। पत्रकार के लिए पहले देश है,उसके बाद और कुछ।स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारों ने अभूतपूर्व कार्य किए थे।
गत दिनों पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष के दौरान एक मोर्चे पर जहां सेना लड़ रही थी, वहीं दूसरे मोर्चे पर मीडिया ने अपनी भूमिका निभाई। आपरेशन सिंदूर ने पूरे विश्व को यह अहसास करा दिया कि भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से भारतीय सेना लगातार युद्ध के मैदान में रही है, उसे जंग लड़ने का अनुभव है,जबकि चीन की सेना ने 1962 के बाद कोई लड़ाई नहीं लड़ी।