फरीदाबाद, (सरूप सिंह)। एनएचपीसी कॉलोनी, सूरजकुंड, में साहित्य संगीत कला सेतु सोसायटी, फरीदाबाद (रजिस्टर्ड) के तत्वावधान में हास्य कवि सम्मेलन ‘काव्य सुधा’ का आयोजन किया। जिसमें धीरज कुमार श्रीवास्तव मुख्य अभियन्ता, विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने बतौर मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। उत्तम लाल, निदेशक (एचआर), एनएचपीसी, फरीदाबाद ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कर आयोजन को गरिमामय बनाया।
कार्यकर्म में साहित्य-संगीत कला सेतु सोसायटी के कोषाध्यक्ष कर्म चन्द, निदेशक, विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने सभी कवियों एवं गणमान्य अथितियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन करके किया गया। तदोपरांत सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का आगाज हुआ। कार्यकम में आये सभी कवियों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
काव्य सुधा कार्यकम में दिल्ली से आई कवियत्री सरिता जैन की कविता ‘मैं थक जाती हूँ बातें करते-करते, तेरी तस्वीर कितना बोलती है‘ ने अपनी गजलों से श्रोताओं पर अपनी छाप छोड़ी। वहीँ श्रृंगार की कवयित्री रजनी सिंह ‘अवनी’ ने कविता ‘कल तक घर के भीतर थी, अब कदम बढ़ाना सीख गई, लाख रुकावट आये फिर भी आगे जाना सीख गई। नारी को कमजोर समझना भूल तुम्हारी है सुन लो नारी तो अब सूरज से भी आंख मिलाना सीख गई‘ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया
आगरा से आये मोहित सक्सेना ने अपनी ओजस्वी रचनाओं से श्रोताओं में जोश भर दिया। उन्होंने कुछ इस तरह बयां किया माँ भारती के भाल पर जब कील गाढ़ी जा रही हो, कुरु सभा में रोज़ पांचाली उघाड़ी जा रही हो, तो कहो दुशासनोँ का वक्ष फाड़ें क्यों नहीं, सिंघनी के पुत्र हैं तो दहाड़े क्यों नहीं।
नोएडा से आये सुनहरी लाल ‘तुरन्त’ ने अपने हास्य रस की कविताओं से श्रोताओं को हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर दिया। उनकी पंक्तियां इस प्रकार थी-
चंबल घाटी का हुआ पूर्ण विश्व में नाम, रखते थे सज्जन यहां मूछे ललित-ललाम। मंच का कुशल संचालन करते हुए ऐलेश अवस्थी ने इस प्रकार छाप छोड़ते हुए कहा विलासित भोगवादी जिंदगी का त्याग है कविता यहाँ पर शूल है और पुष्प भी वह बाग है कविता इसे सम्मान से पढ़ना, इसे सम्मान से सुनना शहीदोँ की चिताओं में धधकती आग है कविता।
संस्था के उपाध्यक्ष गीतकार श्रीचन्द ‘भंवर’ ने अपनी कविता दुनिया के ढंग निराले हैं, किस-किस की कथा सुनाऊँ मैं दुनिया में दर्द बहुत सारे, किस-किस की व्यथा सुनाउँ मैं मंदराचल मेरे अंदर है, उसने जो मथा सुनाऊँ मैं’ से दर्शकों की भरपूर वाहवाही पाई। संस्था के अध्यक्ष हुकम सिंह दहिया ‘जिज्ञासु’ ने संस्था के कार्यकलापों पर रोशनी डालते हुए अपनी गज़ल पढ़ी-
किसी की देखकर सूरत, फना होना नहीं अच्छा बिना जांचे किसी मिट्टी में, कुछ बोना नहीं अच्छा गमों से आशिकी करके, उन्हें मशरूर कर लेना किसी के सामने जख्मों को यूं धोना नहीं अच्छा।