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दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों से लंबी ड्यूटी करवाना अमानवीय: डॉ. शिवाजी कुमार

यूडीएफ के चेयरपर्सन डॉ लक्ष्य मित्तल ने स्वागत किया

यूडीएफ को मिला दिव्यांगजन, बिहार के पूर्व आयुक्त का साथ

नई दिल्ली, (प्राइम न्यूज़ ब्यूरो)। दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों से लंबी ड्यूटी कराने का विरोध बढ़ता जा रहा है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुपालन की मांग कर रहे मेडिकल स्टूडेंट्स को आज बड़ी सफलता मिली है। बिहार के पूर्व दिव्यांगजन आयुक्त डॉ शिवाजी कुमार ने आज स्टूडेंट्स की मांगों का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दिव्यांग पीजी मेडिकल छात्रों से लंबी ड्यूटी कराना अमानवीयता है।

उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत उच्च शिक्षा संस्थानों पर कानूनी बाध्यता है। उन्हें सभी प्रकार की दिव्यांगताओं के साथ समावेशी और बिना भेदभाव के व्यवहार करना होगा। किंतु आज भी कई पीजी दिव्यांग विद्यार्थियों को मेडिकल संस्थानों में तकनीकी सहायता और बुनियादी पहुंच से वंचित किया जा रहा है। यूडीएफ के चेयरपर्सन डॉ लक्ष्य मित्तल ने डॉ शिवाजी कुमार का स्वागत करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन से दिव्यांग मेडिकल स्टूडेंट्स को काफी लाभ होगा।

डॉ शिवाजी कुमार ने कहा कि यह केवल एक शैक्षणिक बाधा नहीं, बल्कि अधिकारों के उल्लंघन का मामला है। उन्होंने पीजी मेडिकल दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विशेष नीति बनाने की मांग की, जिसमें व्यावहारिक समावेश के स्पष्ट नियम हों। उन्होंने कहा कि 2016 के कानून का अनुपालन करना केंद्र और सभी राज्य सरकारों के साथ ही नेशनल मेडिकल कमीशन का दायित्व है।

सभी मेडिकल कॉलेजों को इसके लिए बाध्य करना चाहिए। हर मेडिकल कॉलेज में पीडब्ल्यूडी नोडल अफसर की नियुक्ति हो। दिव्यांग छात्रों की ड्यूटी में लचीलापन हो, ताकि वे समान अवसरों के साथ अध्ययन पूरा कर सकें। उन्होंने दिव्यांगजन कानून की धारा 16, 17, 18 और 20 का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने की मांग की।

डॉ शिवाजी कुमार ने समाज के सभी जागरूक नागरिकों, पत्रकारों, शिक्षा-प्रेमियों और स्वयंसेवी संगठनों से भी निवेदन किया है कि इस विषय को जन-जागरूकता का हिस्सा बनाएं और उन युवाओं की आवाज़ बनें, जो दिव्यांग होते हुए भी डॉक्टरी जैसे कठिन और सेवा-प्रधान क्षेत्र में आगे बढ़ने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम दिव्यांगता को केवल सहानुभूति से नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, अधिकार और न्याय के दृष्टिकोण से देखें।

Prime Haryana
Author: Prime Haryana

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