कुरुक्षेत्र, (प्राइम न्यूज़ ब्यूरो)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुरुक्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी व International Geeta Mahotsav-2023 का उद्घाटन किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 8वीं अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी जितनी आज देख रही है। आज हम ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं, एक तरफ़ इसराइल और हमास का युद्ध तथा दूसरी तरफ यूक्रेन और रूस का युद्ध है।
इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने कहा गीता की फिलॉसफी जितनी प्रासंगिक आज है उतनी इससे पहले कभी नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत के माध्यम से युद्ध को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह सलाह गीता के दर्शन पर आधारित है। भारत का संविधान गीता के दर्शन पर आधारित है, गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी है जो आज देख रही है।
दुनिया में दो बड़े टकराव चल रहे हैं, हम ज्वालामुखी के ढेर पर बैठे हैं।
गीता आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई है।@igmkkr #InternationalGitaMahotsav pic.twitter.com/piM3UdkLzd
— Vice President of India (@VPIndia) December 17, 2023
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत वर्ष की वर्तमान शासन व्यवस्था को गीता गवर्नेंस कहा जा सकता है क्योंकि यह समावेशी है। सबका साथ सबका विकास में विश्वास रखता है और सबको कानून की नजर में बराबर रखता है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज धर्म के मार्ग पर चलकर अपना काम कर रहे हैं जैसा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान देते हुए कहा था, प्रधानमंत्री आज इसी पथ का अनुसरण कर रहे हैं।
मैं कुरुक्षेत्र में हूं, गीता का ज्ञान यहां से शुरू होता है।
जब 130 करोड़ से ज्यादा की जनता COVID की चुनौती का सामना कर रही थी, उस समय भी भारत ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' के आदर्श को सामने रखते हुए दुनिया के 100 देशों को वैक्सीन भेजकर मदद की। @igmkkr#InternationalGitaMahotsav pic.twitter.com/8MtXp9pGmw
— Vice President of India (@VPIndia) December 17, 2023
उपराष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि आज दुनिया में भारत का डंका बज रहा है, हमारे यहां जितना डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है वह अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी के ट्रांजेक्शन से चार गुना भी अधिक है। उन्होंने कहा हमारी प्रतिभा का तो कोई मुकाबला ही नहीं है। हम टेक्नोलॉजी को सहज ही गृहण करते हैं।