फरीदाबाद, (सरूप सिंह)। Former Industry Minister Vipul Goyal ने अपने कार्यालय सेक्टर- 16 सागर सिनेमा पर पुरे लोकसभा क्षेत्र से कुमाऊं और गढ़वाल संस्थाओ के प्रधान और उनकी कार्यकारिणी कों स्नेह भोज पर आमंत्रित किया। इस मौके पर फ़रीदाबाद की लगभग सभी संस्थाओ के प्रधानो के अलावा उनके कार्यकारिणी के सदस्य भी मौजूद रहे।
इस मौके पर पहुँचे पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने सबसे पहले बद्री विशाल का जयकारा लगाया और सभी लोगों का कार्यक्रम में पहुँचने पर अभिन्दन किया। इससे पहले सभी संस्थाओ के प्रधानो ने उत्तराखंड समाज की तरफ से पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल का बुक्के भेंट करके और शॉल ओढ़ाकार सम्मान भी किया। इस मौके पर संस्था के कुछ प्रधानों की तरफ से फ़रीदाबाद शहर में उत्तराखंड समाज का एक सामुदायिक भवन बनाने की मांग की गयी।
इस मौके पर पहुँचे पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों कों सम्बोधित करते हुए शुरुआत में उत्तराखंड की भाषा में ही लोगों से पूछा क्या हाल छि तुम्हारा, घोरो मे सब ठीक ठाक छि ना जिस पर लोगों ने सब ठीक छन का जवाब देते हुए तालियां बजाकर अभिवादन स्वीकार किया। पूर्व मंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा की भविष्य में ज़ब भी सरकार में सांझेदारी हुई तो उत्तराखंडवासियो की भवन की मांग कों जरूर पूरा किया जायेगा।
इस मौके पर विपुल गोयल ने अपने कार्यालय पर सभी उत्तराखंड के व्यंजन बनवाये हुए थे जिनमे से खासतौर पर कंडाली का साग, चोसे की दाल, मीठा भात, भट के डूबके, झंगोरे की खीर और अन्य कई चीजे बनवायी हुई थी जिनका सभी उत्तराखंड के लोगों ने भरपूर आनंद लिया और कहा की आज तक ऐसा स्वागत और सम्मान उत्तराखंड के लोगों का कभी किसी राजनेता ने नहीं किया हैं।
इस मौके पर पूर्व मंत्री ने कहा की आज का भारत नरेंद्र मोदी का भारत हैं जिसमें बहुत से परिवर्तन हुए हैं और हम सबने देखे और महसूस भी किए हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने कहा की उत्तराखंड सदा से ही वीरों की भूमि रहा है और आज पुरे भारत कों गर्व हैं हमारी भारतीय सेना की दो रेजिमेंट – कुमाऊं रेजिमेंट और गढ़वाल रेजिमेंट पर जिनके नाम से दुश्मन थर थर कांपते हैं।
पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने लोगों से बताया की उन्होंने अभी हाल ही मे चार धाम यात्रा की, जिसमें उत्तराखंड की खूबसूरती कों बहुत करीब से देखा जोकि उत्तराखंड के सामने स्वीटजरलैंड भी फीका बताया। पूर्व मंत्री ने कहा की उत्तराखंड के लोग अब प्रवासी लोग नहीं हैं बल्कि एक वो मजबूत संगठन हैं की अगर ये समाज चाहे तो चुनाव में भी अकेले ही किसी पार्टी की जीत हार तय कर सकते हैं।