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क्या आपको पता है Mukesh Ambani पर कितनी देनदारी आइये आइये जानते हैं

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति Mukesh Ambani: के बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट शुक्रवार को एक भव्य समारोह में परिणय सूत्र में बंध गए हैं। इस विवाह समारोह में भारतीय सिनेमा जगत व हॉलीवुड की हस्तियां और देश के लगभग सभी शीर्ष क्रिकेटर शामिल हुए। इसी बीच अंबानी परिवार को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने जानकारी दी है कि मुकेश अंबानी एमएमआरडीए के सबसे बड़े डिफाल्टर है और 4381 करोड़ रुपए का बकाया नहीं चुकाया है। अनिल गलगली ने बताया मेसर्स रिलायंस, नमन होटल, अंबानी फाउंडेशन, आईएनएस, रघुलीला बिल्डर्स नाम से 5 बकाएदार हैं, जिनका कुल बकाया 5,818 करोड़ है।

मुकेश अंबानी पर 4381 करोड़ का बकाया

  • दुनिया के 11वें और भारत के पहले सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी मेसर्स रिलायंस सबसे बड़ी डिफॉल्टर है। हजारों करोड़ की लागत से जिस जियो कन्वेंशन सेंटर (प्लॉट नंबर सी 64) में विवाह समारोह होता है, उसकी लीज जमीन का बकाया 4381.32 करोड़ रुपए है।
  • दूसरे डिफॉल्टर का नाम मेसर्स रघुलीला बिल्डर्स है। मूल रूप से यह जमीन भी मेसर्स रिलायंस की थी। इस मामले में एमएमआरडीए को हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक करारी हार का सामना करना पड़ा। लेकिन एमएमआरडीए को अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र का शेष 449.27 करोड़ रुपए मिलने की संभावना है। वन बीकेसी (प्लॉट नंबर सी 66) पर 1123.50 करोड़ का बकाया है।
  • आईएनएस (प्लॉट नंबर सी 63) का बकाया 181.35 करोड़ रुपए है।
  • अंबानी फाउंडेशन (प्लॉट नंबर एसएफ 7 और 9बी) पर 8.15 करोड़ रुपए बकाया है।
  • नमन होटल लिमिटेड (प्लॉट नंबर सी 58 और सी 59) पर 48.92 करोड़ रुपए बकाया है।

MMRDA हमेशा से ही डिफॉल्टरों पर मेहरबान रहा
एमएमआरडीए से लीज पर जमीन लेने के 4 साल के अंदर जिस मकसद से जमीन ली गई है, उसके अनुरूप निर्माण पूरा नहीं होने पर जुर्माना लगाया जाता है। सीबीआई, आयकर विभाग और अन्य लीज धारकों ने ईमानदारी से जुर्माना अदा किया है। अनिल गलगली के मुताबिक, एमएमआरडीए हमेशा से ही डिफॉल्टरों पर मेहरबान रहा है, अन्यथा अधिभोग प्रमाणपत्र रद्द करने का अधिकार होने के बावजूद किसी भी डिफॉल्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। इसके विपरीत, एमएमआरडीए आयुक्त ने नमन होटल को आंशिक ओसी देने पर विशेष ध्यान दिया। एमएमआरडीए समय-समय पर दावा करता रहा है कि मामला अदालत में विचाराधीन है। अनिल गलगली ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है जब तक यह पैसे अदा नहीं करते इनकी ओसी को रद्द किया जाए।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari
Prime Haryana
Author: Prime Haryana

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