रोहतक, (प्राइम न्यूज़ ब्यूरो)। उपायुक्त धीरेंद्र खडग़टा ने Environmental Pollution को रोकने के लिए सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि Graded Response Action Plan (GRAP) का तीसरा चरण लागू हो चुका है, ऐसे में ग्रेप थ्री के तहत कठोरता से कार्रवाई करें और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करें। उन्होंने कहा कि लचर कार्य प्रणाली वाले संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
डीसी खडग़टा निर्देश देते हुए कहा है कि ग्रेप के तीसरे चरण के तहत जिला में कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलूशन से संबंधित सभी प्रकार की गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा। इसके अलावा बोरिंग और ड्रिलिंग कार्यों सहित खुदाई और भराई के लिए मिट्टी का काम, ओपन ट्रेंच सिस्टम द्वारा सीवर लाइन, पानी की लाइन, ड्रेनेज और इलेक्ट्रिक केबलिंग आदि बिछाना, ईंट व चिनाई के कार्य,पेंटिंग,
पॉलिशिंग और वार्निशिंग कार्य, टाइल्स, पत्थरों और अन्य फ़्लोरिंग सामग्री की कटिंग, सडक़ निर्माण गतिविधियाँ और प्रमुख मरम्मत, परियोजना स्थलों के भीतर/बाहर कहीं भी सीमेंट, ईंटें, रेत, कंकड़, पत्थर आदि जैसी धूल पैदा करने वाली सामग्रियों का स्थानांतरण, लोडिंग/अनलोडिंग, कच्ची सडक़ों पर निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी रहेगी।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि ग्रेप के तीसरे चरण की अवधि में जिला में सभी क्रेशर जोन व खनन का कार्य पूर्ण रूप से बंद रहे। डीसी ने विशेषकर पर्यावरण नियंत्रण, शहरी स्थानीय निकाय, लोक निर्माण विभाग सहित सभी सम्बंधित विभागों को अपने अपने अधिकार क्षेत्र में ग्रेप के तीसरे चरण के तहत पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
पराली जलाने वाले किसानों से तीस हजार रूपए तक वसूला जाएगा जुर्माना: उपायुक्त
उपायुक्त धीरेंद्र खडग़टा ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों से वसूले जाने वाले जुर्माना राशि को बढ़ा दिया है। अब पराली जलाने के दोषी किसानों पर दो एकड़ से कम जमीन पर पांच हजार रुपए का जुर्माना, दो से पांच एकड़ जमीन पर दस हजार रुपए जुर्माना और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वाले किसानों पर 30 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। उन्होंने किसानों का आह्वान किया है कि वे धान की फसल की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को आग न लगाएं। फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा पशुओं के लिए चारे की कमी होती है।
Author: Prime Haryana
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