नई दिल्ली (प्राइम न्यूज़ ब्यूरो) देश के अलग अलग राज्यों में Waqf Board के पास इस समय करीब 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों का क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले NDA Goverment ने राज्य में वक्फ बोर्डों की इस शक्ति के दुरुपयोग का संज्ञान लिया था। वक्फ बोर्डों द्वारा किसी भी संपत्ति पर दावा करने पर अधिकांश राज्यों में इन संपत्ति के सर्वे में देरी होती थी।
अक्सर इस तरह के ख़बरें आती रहती हैं कि वक्फ बोर्ड ने पूरे गाँव को ही अपनी संपत्ति होने का दावा दिया। सरकारी जमीनों पर दावा करने के तो मामले अक्सर आते ही रहते हैं। वक्फ बोर्ड के ऐसे दावों को नियंत्रित करने के लिए सरकार उसकी शक्तियों को पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है। मोदी सरकार संसद के जारी मानसून सत्र में सोमवार (5 अगस्त 2024) को वक्फ एक्ट में संशोधन बिल पेश कर सकती है।
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 अगस्त को कैबिनेट ने waqf act में लगभग 40 संशोधन को मंजूरी दे दी। इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य वक्फ़ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना है। वक्फ के इन दावों के कारण अक्सर विवाद और समानांतर कानून-व्यवस्था चलाने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। केंद्र इस निरंकुशता को खत्म करना चाहता है।
Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व वाली वर्तमान NDA government इस संशोधन को 5 अगस्त 2024 को संसद में रख सकती है। बता दें कि 5 अगस्त का दिन विशेष महत्व रखता है। मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से Article 370 हटाने का बिल संसद में पेश किया था। इसके बाद पीएम मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया था।
प्राप्त जानकरी के अनुसार प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ़ बोर्डों द्वारा संपत्तियों पर किए गए या किए जाने वाले दावों का सत्यापन अनिवार्य किया जाएगा। वक्फ़ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए भी सत्यापन करना अनिवार्य होगा। इससे विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्डों द्वारा जमीनों एवं अन्य संपत्तियों को किए जाने वाले दावों पर अंकुश लगेगी। इससे विवादों को रोकने में भी मदद मिलेगी।
वक्फ के पास 9.4 लाख एकड़ संपत्ति
सूत्रों ने बताया कि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और Shia and Bohra जैसे विभिन्न फिरकों की ओर से मौजूदा कानून में बदलाव की माँग की गई थी। संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही शुरू हो गई थी। सूत्र ने यह भी कहा कि ओमान, सऊदी अरब जैसे किसी भी इस्लामी देश में इस तरह की इकाई को इतने अधिकार नहीं दिए गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों के वक्फ़ बोर्डों के पास इस समय करीब 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों का क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्य में वक्फ बोर्डों की इस शक्ति के दुरुपयोग का संज्ञान लिया था। वक्फ बोर्डों द्वारा किसी भी संपत्ति पर दावा करने पर अधिकांश राज्यों में इन संपत्ति के सर्वे में देरी होती थी।
इसके बाद केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है। ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है। कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। वहीं हाईकोर्ट में PIL के अलावा अपील का कोई प्रावधान नहीं है।
कांग्रेस ने वक्फ को दिए असीमित अधिकार
यहाँ बताना जरूरी है कि साल 1954 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया। इसके बाद इसका केंद्रीकरण हुआ। Waqf Act 1954 वक्फ की संपत्तियों के रखरखाव का काम करता था। इसके बाद से इसमें कई बार संशोधन हुआ। साल 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने जाते जाते वोट बैंक की खातिर बेसिक वक्फ़ एक्ट में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को और अधिकार दिए थे।
दरअसल, वक्फ अरबी भाषा का शब्द है और इसका अर्थ संपत्ति को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना है। इस्लाम में में वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले लोगों द्वारा जकात के रूप में दान की जाती है। ये धन-संपत्ति सिर्फ मुस्लिमों के हित या इस्लाम के प्रसार-प्रसार के लिए काम में लाया जा सकता है। ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है।
हिंदुओं के पूरे गाँव को ही वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था
बता दें कि सितंबर 2022 में तमिलनाडु से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया था, जहाँ वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं के पूरे गाँव 1100 साल पुराने मंदिर पर दावा ठोक दिया था। तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने त्रिची के नजदीक स्थित तिरुचेंथुरई गाँव को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था। जब राजगोपाल नाम के व्यक्ति ने अपनी जमीन बेचने का प्रयास किया तो यह मामला समाने आया था।
राजगोपाल जब अपनी जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस पहुँचे तो उन्हें पता चला कि जिस जमीन को बेचने के बारे में वह सोच रहे हैं वह उनकी है ही नहीं बल्कि, जमीन वक्फ हो चुकी है और अब उसका मालिक वक्फ बोर्ड है। इतना ही नहीं, सारे गाँव वालों की जमीन ही वक्फ संपत्ति घोषित हो चुकी थी। इसके बाद यह मामला राष्ट्रीय सुर्खी बनी थी।
वक्फ बोर्ड ने 5 स्टार होटल पर ठोक दिया दावा
इसी तरह अप्रैल 2024 में हैदराबाद से आया था। तेलंगाना वक्फ बोर्ड ने राजधानी के एक नामी 5 स्टार होटल मैरियट को ही अपनी जागीर घोषित कर दिया था। हालाँकि, हाई कोर्ट ने उसके इस मंसूबे को धाराशायी कर दिया था। दरअसल, साल 1964 में अब्दुल गफूर नाम के एक व्यक्ति ने तब वायसराय नाम से चर्चित इस होटल पर अपना हक जताते हुए मुकदमा कर दिया था।
मुकदमे में वक्फ अधिनियम 1954 का हवाला दिया गया था, जिसकी वजह से होटल मैरियट की सम्पत्ति विवादित घोषित हो गई थी। लगभग 50 वर्षों तक वक्फ बोर्ड ने यह मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझाए रखा। साल 2014 में एक बार फिर से तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड होटल मैरियट के खिलाफ सक्रिय हुआ। मामला हाईकोर्ट में पहुँचा तो अंतिम फैसला होटल मैरियट के पक्ष में आया।