नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं लोकसभा सांसद डॉ. संबित पात्रा ने भुवनेश्वर स्थित भाजपा ओडिशा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए National Herald Case से जुड़े कई नए तथ्यों का खुलासा किया और शिकोहपुर में रॉबर्ट वाड्रा द्वारा किए गए जमीन घोटाले को लेकर जमकर आलोचना की।
डॉ. पात्रा ने खुलासा किया कि Young India ने अपनी बिल्डिंग का प्रयोग बोगस चैरिटी, बोगस किराए और बोगस विज्ञापन प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया। पात्रा ने कहा कि National Herald से जुड़ी खबरें देश के प्रमुख समाचार माध्यमों में प्रकाशित हो रही हैं। इस मामले में गांधी परिवार के दो प्रमुख सदस्यों सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम सामने आए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड प्रकरण में 15 अप्रैल को एक विस्तृत चार्जशीट दाखिल की।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने सरल और स्पष्ट भाषा में इस मामले की तकनीकी बातों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह मामला धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत चल रहा है। यदि जांच और न्यायालय के माध्यम से यह आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो सोनिया और राहुल गांधी को अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है। लेकिन देश के कानून के सामने सभी नागरिक समान हैं और कानून अपना कार्य निष्पक्ष रूप से करेगा।
क्या है मामला
सन् 1937-38 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘Associated General Limited’ नामक एक कंपनी की स्थापना की, जो एक पब्लिशिंग हाउस था। इस कंपनी के अंतर्गत तीन प्रमुख समाचारपत्रों का प्रकाशन होता था। अंग्रेजी में ‘नेशनल हेराल्ड’, उर्दू में ‘कौमी आवाज़’ और हिंदी में ‘नवजीवन’ । इन समाचारपत्रों का प्रकाशन ‘एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड’ के माध्यम से किया गया था। जिसकी स्थापना 1937-38 में हुई थी।
पंडित नेहरू ने स्वयं को इस कंपनी का मालिक नहीं बनाया, बल्कि लगभग 5000 स्वतंत्रता सेनानियों को कंपनी का शेयर होल्डर बनाया था। जिससे यह संस्था एक व्यक्ति या परिवार की नहीं, बल्कि उन स्वतंत्रता सेनानियों की साझा संपत्ति बनी, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। क्योंकि यह कंपनी कोई व्यापार या मुनाफा नहीं करती थी, इसलिए 1956 में इसे एक गैर-व्यावसायिक संस्था के रूप में दोबारा स्थापित किया गया।
इसी वजह से देश के अलग-अलग राज्यों से रियायती दरों पर जमीन मांगी गई। उस समय पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे और संस्था को देखते हुए कई राज्यों ने ₹1 या ₹2 प्रति वर्ग मीटर की बेहद कम दरों पर जमीन दे दी। इस तरह दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में कंपनी की जमीनें मिलीं और वहां दफ्तर और भवन बनाए गए। दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित नेशनल हेराल्ड भवन इस संस्था की सबसे बड़ी संपत्ति है।
देशभर में ऐसे लगभग 100 स्थान हैं जहाँ नेशनल हेराल्ड की संपत्तियां मौजूद हैं। समय के साथ कंपनी को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ‘एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड’ को भारी नुकसान होने लगा और अंततः वर्ष 2008 में अखबारों का प्रकाशन पूरी तरह बंद करना पड़ा। इस दौरान कंपनी पर लगभग ₹190 करोड़ का घाटा दर्ज हुआ और वह गंभीर वित्तीय संकट में आ गई।
कैसे किया हेरफेर
डॉ. पात्रा ने कहा कि कंपनी पर जो कर्ज चढ़ा, उसका मुख्य कारण नियमित खर्च थे। जैसे कर्मचारियों को वेतन देना, भवनों की मरम्मत कराना और बिजली-पानी जैसे खर्च पूरे करना। उस समय कंपनी पर लगभग ₹90 करोड़ का कर्ज था। इस स्थिति में मोतीलाल वोहरा ने कांग्रेस पार्टी से मदद मांगी। मोतीलाल वोहरा सोनिया गांधी और राहुल गांधी से आग्रह किया कि जिस संस्था की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम की भावना से की गई थी, वह अब गहरे आर्थिक संकट में है, और इसे बचाने के लिए कांग्रेस से ऋण की आवश्यकता है।
सोनिया राहुल गाँधी की एंट्री
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि यह कहानी 2010 की है, जब कांग्रेस पार्टी से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेताओं ने एक नई कंपनी ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ की स्थापना की। इस कंपनी के चार प्रमुख सदस्य थे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडीस और मोतीलाल वोहरा। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास यंग इंडिया लिमिटेड के 38-38 प्रतिशत शेयर थे, यानी दोनों के पास मिलाकर 76% हिस्सेदारी थी।
इसी आधार पर यह स्पष्ट होता है कि यंग इंडिया लिमिटेड के वास्तविक नियंत्रण सोनिया गांधी और राहुल गांधी की प्रमुख भूमिका थी। कंपनी के उद्घाटन के लिए 5 लाख रुपये की पूंजी जुटाई गई थी, लेकिन यह पैसे कहां से आएं, इस पर चिंता थी। इस समस्या का समाधान करने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने एक और कंपनी से 1 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, और यह कर्ज उन्हें डोटेक्स इंडिया कंपनी से मिला था। 5 लाख रुपये के लिए 10 लाख रुपये का कर्ज लेने की वजह यह थी कि डोटेक्स कंपनी ने उन्हें यह कर्ज बिना किसी गारंटी के, एक प्रकार का उपहार स्वरूप दिया था।
डॉ. पात्रा ने कहा कि इसके बाद, यंग इंडिया ने मोतीलाल वोहरा से संपर्क किया और उन्हें एक प्रस्ताव दिया कि कांग्रेस पार्टी के 90 करोड़ रुपये के कर्ज को यंग इंडिया चुकाएगी, और इसके बदले में उन्हें 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। मोतीलाल वोहरा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले असोसिएटेड जनरल कंपनी के शेयर यंग इंडिया के नाम कर दिए।
इस प्रकार, यंग इंडिया ने असोसिएटेड जनरल के सारे शेयर खरीद लिए और कांग्रेस पार्टी का कर्ज चुकाने का प्रस्ताव दिया। यह मामला एक कंपनी की शेयर होल्डिंग और प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ है। 50 लाख रुपये के निवेश से, यंग इंडिया ने 9.1% शेयर हासिल किए, जो असोसिएटेड जनरल लिमिटेड के मालिकाना हक को प्राप्त कर लिया। इस प्रॉपर्टी में दिल्ली, लखनऊ, मेरठ, भोपाल और अन्य प्रमुख स्थानों पर प्रॉपर्टी शामिल थी। इन सबके बाद यह प्रॉपर्टी यंग इंडिया के अधीन हो गई। इसके बाद, कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई 90 करोड़ रुपये की ऋण माफी की घोषणा की।
डॉ. पात्रा ने कहा कि 15 अप्रैल को ईडी ने चार्जशीट फाइल की जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे का नाम लिया गया है। यह सभी लोग यंग इंडिया से जुड़े हुए हैं, और उनका नाम इस मामले में अभियुक्त के रूप में सामने आया है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में पीएमएलए के तहत विभिन्न सेक्शनों के अंतर्गत, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम शामिल किया है।
2022 से 2025 के बीच में इस मामले में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। ईडी ने उनसे पूछताछ की, जिसके दौरान पूरी जानकारी सामने आई कि पैसा कहां छुपा हुआ था और किस प्रकार से लेन-देन हुआ। नेशनल असोसिएटेड जनरल लिमिटेड के एकमात्र कर्मचारी मल्लिकार्जुन खड़गे से भी पूछताछ की गई। जब यंग इंडिया ने असोसिएटेड जनरल लिमिटेड को खरीदा, तो उस समय यह देखा गया कि इतनी बड़ी संपत्ति को खरीदने के बाद टैक्स देना बनता था।
लेकिन इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने पाया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ₹414 करोड़ का टैक्स इवेजन किया है। 50 लाख रुपये देकर 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति ली, लेकिन टैक्स नहीं दिया। ईडी ने 16 ऐसी लोकेशनों पर रेड की जो असोसिएटेड जनरल की संपत्तियों से संबंधित थीं, इसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। इन दस्तावेजों से कई नई बातें सामने आईं। ईडी की चार्जशीट में यह उल्लेख किया गया है कि इन संपत्तियों को क्यों सील किया गया।