फरीदाबाद, (सरूप सिंह)। Haryana Vidhansabha Chunav के लिए सभी राजनतिक दलों के साथ साथ सामाजिक संगठन भी तैयार हैं। कांग्रेस अपने जातिगत जनगणना के मुद्दे के साथ लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनावों में भी उतरने को तैयार हैं। वहीँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं से राजनीती में आने आह्वान कर रहे हैं। ताकि राजनीती में परिवारवाद को रोका जा सके। लेकिन चुनावों दोनों ही प्रमुख दल अति पिछड़ा वर्ग को मैदान में लेन से परहेज करते हैं।
इस विषय को लेकर सामाजिक व् अति पिछड़ा वर्ग को राजनीती में आने के लिए प्रेरित करने वाले रामफल जांगड़ा, समाज को जागरूक करने में जुटे हैं। फरीदाबाद में आयोजित एक कार्यकर्म में उन्होंने अति अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को जागरूक करते हुए कहा की, हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। और अति पिछड़ी जातियों को एक बार फिर से कुछ खास मिलने की उम्मीद नहीं है। राजनीतिक दलों ने इन जातियों के तथाकथित प्रधानों को अपनी झोली में डाला हुआ है।
जांगड़ा ने कहा की सभी जातियों के कुछ ठेकेदार जो अपनी आर्थिक हैसियत से ठीक ठाक रसूख रखते हैं। वो चुनाव के पहले किसी न किसी पार्टी के नज़दीक जाते हैं और अंत समय में किसी न किसी का समर्थन कर देते हैं। जानकार कहते हैं कि इसके पीछे पैसे का भी लेनदेन चलता है। इससे होता ये है कि इन जातियों की अपनी भागीदारी का सवाल खत्म हो जाता है क्योंकि आपके प्रधान/नेता ने अपनी ओर से फलां पार्टी के फलां नेता का समर्थन कर दिया है।
इसलिए अब चुनाव के ऐन पहले उन जातियों के पास कोई विकल्प ही नहीं होता। कुल मिलाकर पूंजी की ताकत और रसूख की चाह में सब खेल होता है। आखिर में पूंजीवाद जीत जाता है। पूंजी का ये खेल राष्ट्रीय स्तर से लेकर, प्रदेश से होते हुए शाखा सभाओं तक चलता है। इसकी सबसे ज्यादा मार उन सामाजिक संगठनों पर पड़ती है जो सच में राजनीतिक हिस्सेदारी के सवाल को उठा रहे हैं और उसके लिए काम कर रहे हैं।
रामफल जांगड़ा ने कहा की हरियाणा में विधानसभा चुनाव आ चुके हैं आज मौका है, की समाज के इन तथाकथिक ठेकेदारों से बचकर प्रदेश पिछड़ी जातियां अपने अपने नेताओं/प्रधानों के हाथों में अपना जनाधार समेटने के बजाय अपने सामाजिक संगठनों को मजबूत करना चाहिए, जिससे सच में कोई अच्छे परिणाम सामने आ सकें।
Author: Prime Haryana
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