नई दिल्ली, (प्राइम न्यूज़ ब्यूरो)। गुजरात स्थित सूरत की एक अदालत ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई है। 2019 में ‘मोदी सरनेम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में ये सजा सुनाई गई है।
इस फैसले के बाद राहुल गांधी पर लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडराने लगा है। सूरत अदालत ने राहुल को सजा सुनाने के बाद उन्हें जमानत देते हुए उनकी सजा के अमल पर 30 दिन तक की रोक लगा दी, ताकि वह फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें। अब राहुल गांधी के पास ऊपरी अदालत में फैसले को चुनौती देने का समय है।
उल्लेखनीय है कि जनप्रतिनिधित्व कानून यह कहता है कि दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘दोष सिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित किया जाएगा और वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक अयोग्य रहेगा। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अपीलीय अदालत राहुल की दोष सिद्धि और दो साल की सजा को निलंबित कर देती है तो वह लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होंगे।
’मोदी’ उपनाम को बदनाम करने के दोषी करार
गुजरात की सूरत की एक अदालत ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को ‘मोदी’ उपनाम को बदनाम करने का दोषी ठहराया और दो साल की जेल की सजा सुनाई।
आरोप था कि राहुल गांधी ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे ‘मोदी’ समुदाय का मान घटाया।
सांसद के रूप में राहुल गांधी पर अयोग्यता का जोखिम
दोषसिद्धि राहुल गांधी को तत्काल प्रभाव से एक सांसद के रूप में अयोग्यता के जोखिम में डालती है। लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा एक अधिसूचना के अधीन, वह केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वहीं कांग्रेस की रिपोर्ट बताती है कि राहुल अब से संसद में भाग नहीं लेंगे।
क्या है मामला ?
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। उन्होंने अप्रैल 2019 में एक रैली में कहा था, “मेरा एक सवाल है। मुझे एक बात बताओ … नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी …कैसे सभी चोरों का नाम मोदी है? हम नहीं जानते कि ऐसे और कितने मोदी निकलेंगे।”
नीरव मोदी 13,000 करोड़ रुपए के पीएनबी धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी है और तब तक भारत से भाग चुका था। ललित मोदी कथित आईपीएल घोटाले में आरोपी हैं। वह भी भारत से भाग गया था।
भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया और राहुल गांधी पर एक पूरे समुदाय को बदनाम करने का आरोप लगाया।
इसे लेकर क्या कहता है कानून ?
अनुच्छेद 102(ई) और 191(ई) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 एक सांसद या विधायक की अयोग्यता से संबंधित है। जुलाई 2013 से पहले, एक सजायाफ्ता सांसद व विधायक सदस्यता की तत्काल हानि के लिए उत्तरदायी नहीं था।
लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने 1951-अधिनियम के प्रावधान को अयोग्य ठहराने में देरी को एक अपीलीय अदालत में लंबित अवधि के लिए असंवैधानिक माना।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार उस साल सितंबर में एक अध्यादेश लाई थी। कुछ दिनों बाद, राहुल ने अध्यादेश को “पूरी तरह से बकवास” कहकर खारिज कर दिया था कि “इसे फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए”।
राहुल 8 साल के लिए चुनावी मुकाबले से हो सकते हैं बाहर
ऐसे में अब, राहुल 8 साल के लिए चुनावी मुकाबले से बाहर हो सकते हैं (2 साल की जेल + 6 साल की अयोग्यता) — तब तक वह 60 साल के हो जाएंगे।
Author: Prime Haryana
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