नवरात्रि में पहले दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है.

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं.

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अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया

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नवरात्रि में मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है.

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मां शैलपुत्री की प्रतिमा को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें. मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु बहुत प्रिय है...

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पहले दिन दोपहर के समय लाल वस्त्र धारण करें. फिर देवी को लाल फूल और लाल फल अर्पित करें. आप ताम्बे का सिक्का भी अर्पित कर सकते हैं.

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ॐ दुं दुर्गाय नमः " या ''ॐ शैलपुत्रये नमः'' मंत्र का जाप करें. इसके बाद सूर्य के मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" का कम से कम तीन माला जाप करें

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पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैल पुत्री की पूजा में मंत्र का खास महत्व होता है. इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है